April 21, 2025
शहर के लड़के ने गांव की देसी भाभी को चोद कर संतुष्ट किया

नमस्कार दोस्तों मेरा नाम प्रदीप है और मै आपके सामने भाभी की चुदाई हिंदी सेक्स कहानी लाया हु 

इस कहानी मई पढोगे की शहर के लड़के ने कैसे गांव की देसी भाभी को चोदा (Desi bhabhi ko choda)

अब मेरी आज की कहानी को पढ़कर भरपूर मजे लेकर अपने अंतर वासना में अपने चूत में उंगली डालकर व अपना लंड  हिलाकर पढ़ने लगोगे।

चलो मैं अब अपने कहानी को शुरवात कर रहा हूँ. बात गाँव की ही है. मैं उस समय करीब 24 साल का था और दिल्ली के vasant kunj मैं पढ़ाई करता था. 3 दिन लगातार छुट्टी होने के कारण मैं अपने गाँव आया हुआ था.

और वह महीना था मार्च का. गर्मी भी बहुत थी. घर मे बैठ कर बोर हो रहा था तो मैं और मेरा दोस्त राहुल  दोपहर में खेत पर जाने का प्लान बनाया.

उस समय खेतो में कोई फसल न होने से खेतो पर इक्का दुक्का ही आता-जाता था. हम खेत पर दोनों चले गए और जाकर आम के पेड़ के नीचे लेटे थे. कुछ समय बाद मेरी पड़ोस वाली गली की भाभी गाय को लेकर अपने खेत पर जा रही थी.

तभी मेरे दोस्त ने कहा देख इस गाँव की सबसे मस्त भाभी आ रही है.मैने देखा तो देखता ही रह गया. वाकई वह सुंदर थी. उनके दोनों बड़े चुच्चे चलते समय ऊपर नीचे हो रहे थे जैसे आज उनको ब्लाउज तोड़कर उड़ जाना हो. हवा चल रही थी तभी भाभी’ की साड़ी का साड़ी का पल्लू उड़ा और हमे भाभी के बिग बूब्स देखे।

और भाभी जिस तरह चल रही थी पीछे से उनकी मोटी गांड को देख कर मेरा 8 इंच का लम्बा लंड तेजी से मेरी जींस के पेंट मै ही खड़ा हो गया  बस एक ही मन कर रहा था की एक बार भाभी की चूत चोदने (chut chudai) को मिल जाए तो जी भर के चोदूंगा।.

मेरे इतना कहने से ही राहुल  ने कहा यार इसमें कौनसी बड़ी बात है. एक बार मैने इसे चोद रखा है. लेकिन दूसरी बार नखरे कर के मना किया।

मैने भी उसके  इस बात पर मझाक करके बोला. तूने उसे सही नही चोदा होगा तभी तो दूसरी बार मना किया. तो वह और मैने हस दिया. भाभी तब हमारे पास से गुजर रही थी. और रुकी हमारी ओर देखकर बोली. क्या बात है बहुत जोर जोर से हस रहे हो।

मैं : भाभी आप अभी कहा इतने गर्मी में खेत पर आ गई हो.

भाभी : क्या करूँ घर मे भी कोई काम नही था और गाय को भी चराना था इस लिए आई हूँ. और तुम लोग क्या कर रहे हो इधर?

मैं: भाभी कुछ नही घर मे मन नहीं लग रहा था इसलिए आज इधर आये है.

 राजू : भाभी आज मुझे कुछ चाहिए आपसे दोगी क्या ?

भाभी: रहने दो उस दिन की तरह हाफ जाओगे.

और भाभी जोर से हंसने लगी. भाभी की ये बाते देखकर मेरा लंड  और फड़फड़ाने लगा।

मैं: भाभी कुछ हमे भी दो आज. जिससे हम भी स्वर्ग का सफर कर ले.

भाभी. : तुम भी इसकी तरह हाफ तो नही जाओगे ना. ठीक है चलो आज तुम्हको भी आजमा लेते है.

 राजू : ऐसा करते है हम तीनों मिल कर मजे लेते है.

भाभी कुछ सोची और बोली चलो आज तीनो एकसाथ का मजे लेते है.

फिर हम तीनों मेरे खेत के साथ एक खंडर था जहाँ कोई आता जाता नही था। आज वैसे भी गर्मी की वजह से कोई पंछी भी इधर गुजर नाही सकता था.फिर हम तीनों वहां गए.

भाभी हम दोनों के सामने थी. वह गोरी और सुडौल शरीर वाली एक अप्सरा से कम नही लग रही थी. उसके बूब्स तो ब्लाउज जे बाहर आने के लिए तड़फ रहे थे. उन्हके देखकर मैने कहा. भाभी आपके इन दोनों कबूतरों को आज़ाद कर दो ना. बेचारे कितने तड़फ रहे है बाहर आने के लिए।

भाभी ने भी तुरन्त अपने ब्लाउज को निकाल कर हमारी ओर फेक दिया. भाभी के दोनों बूब्स  देखकर मेरा लंड  और तेजी के साथ फड़फड़ाने लगा. मैंने अपने पेंट और अंडर वियर को निकाल कर बिल्कुल नंगा हुआ. मेरा दोस्त  राजू  ने भी ऐसा कर नंगा हुआ.

भाभी अपनी साड़ी को निकाल कर बिल्कुल नंगी हो गई.

हम तीनों एक भी कपड़ा अपने शरीर पर नही छोड़ा था. मानो की हम बिल्कुल 2000 साल पुराने युग मे थे.

भाभी : बताओ पहले कौन करेगा.

मैन कहा भाभी इतनी क्या जल्दी है पहले रसपान कराइये फिर खेल शुरू करेंगे. तब भाभी मेंरे पास आई और मेरे लंड  को हाथ मे लेकर सहलाने लगी और बोली. राजू तुम्हारा लंड  सचमुच बहुत मजबूत और चुस्त है. कही मेरी चूत को फाड़ तो नही देगा ना. मेरा लंड  वैसे भी मोठा और 8 इंच लंबा था. भाभी बहुत पसंद आया था.

उधर राजू  भी अपना लंड  भाभी के हाथ मे दिया. और भाभी ने दोनों के लंड  को बिल्कुल जोर जोर से सहला रही थी. मैने भाभी बूब्स  को पकड़ कर दबाने लगा. भाभी और उत्तेजित होने लगी.

भाभी के गुलाबी निप्पल को मुँह में लेकर मैने चूसना शुरू किया. भाभी के मुँह से आ. . ह ऊ. . . ह के वासना भरी आवाज आने लगी।फिर हमने भाभी को वही लिटाया और मैं उसके मुंह के पास आकर मेरा लंड  उसके मुंह मे डालकर चुसवाने लगा. भाभी बहुत ही मस्ती के साथ चूस रही थी.

राजू  भी भाभी के चुचिये के साथ खेलते हुए चूत को मजे से चाट( chut chatai ) रहा था जैसे बिल्ली अपने दूध के प्याले को दूध खत्म होने के बाद चाट रही हो।भाभी ने कहा अब मेरी बुर चुदाई करो रहा नही जा रहा है. तो मैंने भाभी को कहा. भाभी आप घोड़ी बन जाओ.

और राजू  को आगे भेज कर उसका लंड  भाभी को चूसने को कहकर मैन पीछे आकर मेरे लंड  पर थूक लगाकर खड़ा होकर देखा तो भाभी के गोरी गुलाबी चूत. और छोटे छोटे से बाल वाह क्या नजर आ रहा था. जैसा स्वर्ग का रास्ता यही हो.

मैंने उंगली से भाभी के चूत को छुआ तो चूत और गीली (gili chut) होकर बुलाने लगी थी. मैं अब लंड निकालकर चूत पर रगड़ने लगा और भाभी भी राजू  का लंड जोर जोर से पूरा मुह में लेकर चूसने लगी थी।

मैंने अब मेरे लंड  को चूत में हल्का सा घुसेड़ दिया और एक जोर का झटका धीरे से दिया भाभी के मुह से जोर से चिक निकली. और मेरा लंड  पूरा पूरा अंदर जाकर रोख दिया था. भाभी के आंख में पानी आ गया था.

मैने फिर धीरे धीरे से हल्के झटके देने लगा और भाभी अब बिल्कुल खुलकर चुदवाने लगी. उसे भी मझा आने लगा था. राजू  के लंड  ने अब जबाब दे चुका था और सारा अपना वीर्य भाभी के मुह में छोड़ दिया.

और भाभी थूक दिया और मेरे लंड  का मजे लेने लगी।

मैंने भाभी को कहा भाभी आपकी मोटी गांड मस्त है इन्हें देखकर रहा नही जा रहा है. मुझे आपकी गांड मारने (gand chudai)को दिल कर रहा है.

भाभी: राजू करो लेकिन आराम से डाल देना. पहली बार गांड में लंड  ले रही हूँ.

मैं: घबराओ नही भाभी आराम से जाएगा अंदर. फिर मैंने अपने लंड  को चूत से निकाल कर भाभी के गांड के छेद पर रखकर हल्का अंदर धकेला. लंड आराम से अंदर जाने लगा क्योंकि लंड  पहले से चूत से गीला हुआ था.

चिकनाहट था तो अंदर तो आराम से जा रहा था.

आधा लंड  अंदर जाते ही भाभी के मुह चीत्कार निकली राजू अब बस करो और अंदर मत डालो. बहुत दर्द हो रहा है. फिर मैंने हल्का आगे पीछे कर चोदने लगा. और कुछ ही देर में मेरे लंड  ने अपना वीर्य भाभी के गांड में छोड़ दिया।

मैंने अपने लंड  को भाभी के पेटीकोट से ही पोछकर साफ किया. भाभी के चेहरे पर चुदाई से संतुष्टि की लकीर दिखने लगी थी. भाभी ने कहा राजू आज तुम्हारे तगड़े लंड  ने ऐसा मझा दिया है जिस के लिए बरसो से तरसी थी।

राजू  भी अपने कपड़े पहनकर खड़ा था. तो हम तीनों कपड़े पहन कर वहां से चले गए।

घर मे पहुंचने के बाद भी मुझे भाभी की हर अदा नजर आ रही थी.

उम्मीद करता हु की आप लोगो को मेरी ये कहानी पसंद आ रही होगी

ऐसे और भाभी की चूत चुदाई की कहानी पड़ने के लिए readxstories.site पर जाए  

धन्यवाद।

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